Monday, July 13, 2020

यूँ मुझसे रूठा ना करो!

माना नासमझी कर जाती हूँ
बिन सुने बहुत कुछ कह जाती हूँ
छोटी सी बात पकड़ कर गुस्सा भी हो जाती हूँ
मज़ाक कई बार समझ नहीं पाती हूँ
और तुमसे नाहक ही लड़ जाती हूँ
लेकिन फिर पल भर में संभल भी जाती हूँ
आदत समझ तुम इसे मेरी
भूल जाया करो
और यूँ मुझसे रूठा ना करो

मुझे कभी समझाया करो
तो कभी प्यार से मनाया करो
लेकिन तुम मुझसे रूठा ना करो
यू हमे आज़माया ना करो
यह बेमानी ज़िद्द किया ना करो 

Wednesday, March 25, 2020

The more I think of you, The more I fall for you.

The more I think of you,
The more I fall for you. 

Everything seems so magical when it's you,
You are the one for me, I somewhat knew.

Love it when you make the movie plan,
Just to hold my Hand.

It feels nice,
When you take me for a long drive,  
I silently wish, let my destination don't arrive

Your occasional gazes,
Your smile just amazes.
The often we meet,
I feel more complete.

When you send the music note
You act like my antidote/ Cure
When you say, you are dedicated
Instantly my mood gets elevated 

When your hands softly touch my cheek 
There is something about you so mystique
I wonder how somebody could be this sweet.   

Your thoughtful presents
I find them very pleasant 
My desire for you grows high 
When you are not close-by 

You do get irritating at times 
But your cuteness is visible from your eyes 
The abundant Love that you give
With all of "you," I want to live.   

I want to spend the rest of my life
To be called as your wife  

The more I think of you
The more I fall for you 

ख्याल


मेरा ख्याल बन गये हो तुम
दिन - रात जहन से ना जायें, 
वो एहसास बन गये हो तुम

एक हसीन मुलाकात बन गये हो तुम
मेरे लबों पे आने वाली प्यारी मुस्कान बन गये हो तुम
हां ! मेरे दिल में घर कर रहे हो तुम

मेरा ख्याल बन गये हो तुम
दिन - रात जहन से ना जायें, 
वो एहसास बन गये हो तुम

मेरे राह की मंज़िल बन गये हो तुम
मेरा चैन और सुकून बन गये हो
हां ! अब मेरा प्यार बन गये हो तुम

मेरा ख्याल बन गये हो तुम
दिन - रात जहन से ना जायें, 
वो एहसास बन गये हो तुम

कुछ धीमा सा है


Saturday, August 24, 2019

Ehsaas (एहसास)

Kuch ehsaas hone laga hai
Tu mujhse dur hokar bhi
Mere paas hone laga hai
Banane lage hai mere lamhe aur bhi behtar
Mere naseeb se tu jo judane laga hai
Na chahte hue bhi bahut kuch ab badalne laga hai
Kuch ehsaas hone laga hai 

___________________________

कुछ एहसास होने लगा है
तू मुझसे दूर होकर भी
मेरे पास होने लगा है
बनने लगे है मेरे लम्हे और भी बेहतर
मेरे नसीब से तू जो जुड़ने लगा है
ना चाहते हुए भी बहुत कुछ अब बदलने लगा है
कुछ एहसास होने लगा है  

Saturday, July 20, 2019

अजब हाल

कुछ अजब सा हैं हाल 
उनसे मिलने के बाद
शायद कोई बात अब भी अधूरी रह गयी 
इतनी बातों के बीच भी कुछ बात बिनबोली रह गयी 

उन्हें क्या मालूम उनका असर हम-पर कैसा पड़ता जा हैं
हमसे ज़्यादा अब उनका रंग हम-पर चढ़ता जा रहा हैं

वो हर बार संग छोड़ जाते हैं-
कुछ खूबसूरत सी याद
मानो हो हमारी प्यारी पहली मुलाकात
जैसे उनका हर पल ना होकर भी होना मेरे साथ

कुछ ऐसा सा हैं हाल 
उनसे मिलने के बाद
शायद वहा भी उनका होगा यही हाल    

Monday, June 3, 2019

कुछ इशारा तो ज़रूर है

कुछ इशारा तो ज़रूर है
कोई बिन कहे ही हुआ हमारा तो ज़रूर है

बात इतनी आगे ना बढ़ती 
अगर आँखों की मंज़ूरी ना होती
कहकर भी ना कहना उनकी आदत है
इसीलिए हमने समझकर भी ना समझना अपनी आदत बना ली

कुछ इशारा तो ज़रूर है
कोई बिन कहे ही हुआ हमारा तो ज़रूर है

बात ऐसे ही हवाओं में नहीं घुलती
दिल का दरवाजा कहीं से खुला तो ज़रूर है
उनकी कही हर बात, लब पर ले आती है मीठी सी मुस्कान
पता ही नहीं चला कब वो घर कर गया कम्बक़्त दिल ए नादान

कुछ इशारा तो ज़रूर है
कोई बिन कहे ही हुआ हमारा तो ज़रूर है

Sunday, November 19, 2017

बेमौसम की बारिश

बेमौसम की बारिश


बेमौसम ही बरस पड़ी.
रिम झिम बूँदो की ये लड़ी.
मानो कोई प्रयोजन के संग आई है.
गरजता बादल
बरसती बूंदे,
तेज हवा,
ना जाने आज किसकी शामत आई है

बस भिगो देना चाहती है,
मेरे सारे गम और ये चितवन
मानो रुबरो करा रही हो हमे किसी से
या यूँ कहे लुभा रही है मुझे आपनी सौधी खुशबू से
बेमौसम ही बरस पड़ी.
रिम झिम बूँदो की ये लड़ी.
ना संभालने का मौका दिया
ना बहेकने का
बस भिगोती रही

ये बेमौसम की बारिश
बढ़ा गयी हज़ारों ख्वाइश
मैल सारा धूल गया
जा पानी में मिल गया 

Saturday, July 8, 2017

पहल

कुछ कदम की दूरी थी
पर जाने क्या मजबूरी थी
पैर आगे बढ़े ही नहीं
हम खड़े इंतेज़ार करते रहे
वो मौके इक्तियार करते रहे.
पहल की ज़त्तोजहत चलती रही
पर हुआ कुछ भी नही..


****

उम्मीद


उम्मीद


कुछ उम्मीद, विश्वास से पूरी होती है
कुछ होकर भी अधूरी होती है
कभी ये रहे आधे-अधूरे किस्से
कभी ये बने, बटे हुए हिस्से
कुछ किस्मत से हो जाती है पूरी
पर यह हमेशा हो ये नही ज़रुरी
ये इतनी दूर भी नही और इतनी पास भी नही
हमारी चाहत मे समुंदर जितनी गहरी प्यास जो नही..!

***

Sunday, April 16, 2017

सात


आठ से पहले और छह के बाद
आता है दिनांक सात


ब्रह्मांड ने हमारे लिए कई रहस्य है छोड़े
हमारे जीवन को सात के कई पहलू से है जोड़े

जैसे साप्ताह में होते है सात दिन
कभी देखा है सप्तऋषि सात सितार्रों के बिन

मानव का लेना सात जनम
सात सुरों का संगम
सप्त सुर से हज़ारो शब्द और राग है निकलते 
और वातावरण में है जा मिलतें

शादी के सात वचन और फेरे
सतरंगी इंद्रधनुष आकाश को अपनी बदली मे जा घेरे

ये कितनी विचित्र है बात 
विश्‍व में अजूबे है सात
महाद्वीप है सात
महासागर भी तो है सात
स्वर्ग की सीढ़ी के पायदान है सात

अंक सात की कई है विशेषता
जीवन में लाता है कितनी सहजता 

सात में है अलौकिक शक्ति
कई साधू- संत करते है इसकी भक्ति

सात अंक है बड़ा प्रभावी
कई रहस्यो की ये है चाभी

Wednesday, November 23, 2016

पुरानी और नयी यादें

कुछ पुरानी यादों को तबाह किया है
नयी यादों की जगह जो बनानी है

कुछ रिस्तो को बेनाम किया है
अब नये रिस्ते जो निभाने है
कुछ बातें बस भूल गये है
नयी बातें जो कहनी है
कई बीते लम्हों को मिटाया है
कुछ और हसीन लम्हे जो गुज़ारने है
कुछ लोंगों को पीछे छोड़ा है
क्यूकी हमें आगे बढ़ना पड़ा है

सब आहिस्ता-आहिस्ता ही सही, असर तो हो रहा है
कुछ बदल रहा है और कुछ मैं बदल रही हूँ
कई पुरानी यादों को तबाह किया है
तभी तो नयी यादों की जगह बना पाई हूँ

Thursday, November 10, 2016

जंगली फूल

सिर्फ़ लाल गुलाब, गुलाबी कमल का फूल ही खूबसूरत नही होता I  कई बार जंगल में उगते रंग बिरंगे फूलों की वल्लरियाँ भी अति सुंदर होती है I कहने के लिए उनमें ख़ुशबू कम होती है पर इससे उनकी सुंदरता में कोई कमी नहीं आती I उन्हे संभालने या देखने की कोई ज़रूरी नही I जंगली फूल आपकी कल्पना की तरह ही होते हैI कभी भी कहीं भी पनप जाते हैI उनमें विकास की कोई सीमा नही होती I बस बढ़ती जाती है जैसे इंसान की imagination की कोई limit नहीं I कई बार इन जंगली फूलों से ईर्ष्या हो जाती  है, क्यूकी हमें तो इतनी रोक-टोक है और ये जंगली फूलों को किसी बात की कोई परवाह ही नहीं I जहाँ मन हुआ उस ओर हो गयी I बिल्कुल मनमौजी होती है  I


Saturday, October 29, 2016

रुके रुके से ख्वाब

कुछ रुके रुके से ख्वाब है
और कुछ ख्वाब की तलाश है

सबको ज़िंदगी बना मुस्कुराते है
शायद अब भी सच्ची मुस्कान की तलाश है 
हम मीलों का सफर तय कर चुके है 
और आगे भी मंज़िल की तलाश है 

कुछ रुके रुके से ख्वाब है
और कुछ ख्वाब की तलाश है

Saturday, October 8, 2016

ज़िंदगी परियो की कोई कहानी नही है
ज़िंदगी में तो बड़े उतार चढ़ाव होते है
 मुकाम पाने से पहले कई पढ़ाव होते है

*****

उसने कहा मैने सुना
मैने कहा उसने सुना
दोनो ने ना कोई सवाल किया 
ना तो कोई जवाब ही आया
और सब वैसा ही चलता गया

*****

प्यार तो एक एहसास है
दो लोंगों के बीच का अटूट विश्वास है
जाने क्यू फिर प्यार कई बार बनती बिसात है
कभी इसमे मिलती शय तो कभी मात है

*****

वो जताना भूल आए है
हम बहाना भूल आए है
बिन बोले ही 
सारा ज़माना भूल आए है

*****

सम्राट चक्रवर्ती अशोका



सम्राट चक्रवर्ती अशोका दोबारा धरती पर है आयें
अपने साथ कई expectations है लायें
सब कुछ Mordern होगया है
मानो उनका साम्राज्य किसी और के आधीन हो गया है
जब अचानक आस पास सब इतना अटपटा देखा
जिग्यासा वश उन्होने पूछा
क्या ये मगध राज्या है
बगल में खड़ा बच्चा बोला
लगता है तुम्हारे साथ घटी कोई घटना है
क्यूकी ये तो पटना है
राजा थे दंग
पूछा क्या मै चल सकता हूँ तुम्हारे संग
चलते चलते वो बोले
कुछ अपने मन के राज़ खोले
क्या तुम्हे इस बात की है खबर
इतिहास में मेरा नाम है अमर
मैं हू मौर्या सम्राट अशोक
ओह ! आप तो फिर काफ़ी प्रचलित है इस लोक
हमें भी ये ज्ञात है
आप कितने विकयात है
बचपन में कई बार loose  किया था अपना Temper
शायद आपके पास नही था सही Mentor
आप तो बचपन में ही अपनी शख़्सियत गये थे हार
बन बैठे थे चाणक्य  की कटु नीति का शिकार
कितनी प्रबल थी राजगद्दी की मंशा
बिना सोचे समझे बस करते रहे हिंसा
परिजनो का बहाया था रक्त
इसके अतिरिक्त आपके पास था किसी और बात का वक्त
तुमने ही तो किया था कॅलिंग युध
सब पाकर बन गये थे बुध
राजा ने ये सब सुन आँखें बिचकाई
तुम यूँ ना दो मुझे दुहाई
क्या तुम्हे मेरे बारे में बस इतना पता हैं
मैने अपने 40 वर्ष के शासन में और भी बहुत कुछ किया है
कॅलिंग युध के बाद ही तो मुझे मेरी ग़लती का आभास हुआ था
मैं मानो जीते जी ज़िंदा लाश हुआ था
कितनी दर्दनाक वो स्थिति थी
रन भूमि पर लाखों सैनिको की लाश बिछी थी
तब मैने हिंसा को था त्यागा
इतने सालों में मानो मैं तब था जगा
बना मैं बोधिसत्व
समझाया सबको बुध धर्म का महत्व
मेरे साम्राज्या का विस्तार लगभग पूरा भारत और ईरान था
मुझे सफल और कुशल सम्राट बनाने में आचार्य चाणक्य का ही हाथ था
मैने बनाया था विहार और स्टुप
मैने कर्तव्या निभाने में कभी की नही है की चूक
मैने रोग से पीड़ित प्रजा के लिया बनाया था चिकित्सालय
तक्षशिला और नालंदा में बनाया था विश्वविद्यालय 
मैने शिलालेखों द्वारा जनता को शांति से जीना बताया था
सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि जानवरों और पेड़-पौधों के हित के बारे में भी सुझाया था

मैं आज भी तुम्हारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग हूँ
जो मरकर भी आज तुम्हारें संग हूँ
अशोक चिन्ह है तुम्हारा राजकीय प्रतीक
अहिंसा, सदभाव, प्रेम और सत्य की मैने रखी थी लीग

बच्चा ये सब सुन रहा था
अपने दिमाग़ में कुछ बुन रहा था
This is 21st Century
And sorry for not being aware about your glory
आपसे मिलकर अच्छा लगा है
शायद आज कोई इतना सच्चा लगा है
हर इंसान के दो पहलू होते है
वो कभी ग़लत तो कभी सही होते है
हमारे धवज के बीच जो अशोक चक्र लहराता है
आज भी अमन और शांति का परचम फहराता है

आज नही तो कभी नही

“आज नही तो कभी नही” गौर करने वाली बात है I ये चाहे किसी भी संदर्भ में क्यूँ ना हो   I एक ऐसा ही मौका मैं छोड़ आई हूँ  I जानती हूँ मौके बार –बार नही मिलते  I पर जब मौका छूट गया हैं तो अब पाना किसे है I उसकी परवाह किसे हैं I भूल जाओ और आगे बढ़ो I

**********************************

आज अपनी ही बात को काटती हूँ  I मौके तो हज़ारों मिलते है पर व्यक्ति के आतमविश्वास की कमी या समाज के डर के कारण उसे ठुकरा देता है I मौके हर कदम पर आपके कदम से कदम मिलनें की बात करतें हैं पर यदि आपके कदम लड़खड़ा जाए या कोई अलग राह खोज़लें तो भला मौका क्या करेगा I उसे तो आपके रास्ते से हटाना ही पड़ेगा I 

Sunday, July 31, 2016

Traffic का red signal


दिन भर के सफ़र में 
स्कूटी, कार और बस में 
Traffic के  red signal से
रोजाना रूबरू होते है
इसकी मेहरबानी से
5 तो कभी 15 मिनट हर रोज़ लेट होते है

सिग्नल पर भीख माँगने की कला बदल रही है
शायद ये कला तकनीक से जा मिल रही है 
कई खुद्दार ग़रीब और बिखारी
कर रहे है नया काम जारी

बरसात में लातें है सतरंगी छाता
गर्मी में इन्की पोटली से cap  है निकल आता
कभी होता है पेन और कभी पेन्सिल
कभी छोटे से खिलौने 
तो कभी ढेरों गुब्बारें
गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस को ये बेचते है झंडा
ये रोज़गार है या है कोई धन्दा

signal पर वस्तु विक्रय संगठित व्यवसाय हो गया है
अनपढ़ के लिए product marketing का हुनर आम हो गया है
हर तीन महीनों में चीज़े है बदलती
signal  पे बेचने का काम है बड़ा मेहनती

जिसकी नही रहती कभी कोई guarantee 


अपमान भला किसे है भाता
शायद इन्हे सिर्फ़ यही काम है आता
ये Traffic का red signal
जो मचाता है कई बार घमासान हलचल 



Monday, July 18, 2016

आज शायद बात कुछ और है

आज शायद बात कुछ और है...


उनके आने की खबर नही
उनसे मिलने का सब्र नही
बातें नही हुई है अब तक
फिर भी मुरीद हो गया है


शर्तें नही है
बस मनमानी चल रही है
कुछ लोगों की देखा देखी
कई आदतें बदल रही है
आज शायद बात कुछ और है!

Monday, June 20, 2016

शायर की क़लम

शायर की क़लम ही 
अपनी नज़्म का जादू 
दुनिया पर चलाती है
ये हुनर हर किसी के बस की बात नहीं
कई बार आर्सो लग जाते है एक छोटी सी बात को
तो कभी चन्द लम्हे भी आर्सो की कहानी बया करते है

शायद मंज़र बहुत है
नज़रें कई है
चाहने वालो में मक़बूलियत की कतारें बहुत है

उनके शब्दो का जादू कुछ ऐसा है
वो दिन को भी करदे निशा के जैसा है

हसते-हसते इतनी तीखी बात करते हो 
ज़िंदगी की बनावट पर कितने इल्ज़ाम कसते हो

शायर की कलम ही 
अपनी नज़्म का जादू 
दुनिया पर चलती है
ये हुनर हर किसी के बस की बात नही

चार लकीर पर दुनिया को नापने चले 
सुहाने मौसम में भी तुम गरदिश में धुँआ उड़ाते चले 

कभी तकदीर, कभी ताबीर 
कभी तस्वीर, कभी तस्वूर 
सबको अपनी रवानी मे समेट लेते हो तुम
शायर हो ! शायरी से परिंदो तक का दिल जीत लेते हो तुम 

Thursday, May 19, 2016

आँखे भी camera सा काम करती है.........



आँखे भी camera सा काम करती है
रंगीन यादों को बड़े प्यार से capture करती है
आँखो के हिसाब से अपनी लेंस को adjust करती है 
अपनी convinience पर zoom in and zoom out करती है 
मनचाही पिक्चर को करती है click
फिर पल भर की देर मे करती है store 
बस इशारे भर से खींचती है अपनी ओर  
आँखें तो है दिल तक पहुचने का है एक single door 
ये तो हमेशा ही रहती है autofocus or colour balanced 
सब मिंटो मे हो जाता है save और recorded 
कैमरे से बढ़ियाँ है आँखो का Pixel
इसका funda है बिल्कुल simple
Eye's need no charger
They try to make life, little too larger
शायद आँखे कभी-कभी camera से भी बढ़ियाँ काम करती है
रंगीन यादों को बड़े प्यार से capture करती है

मेरे साथी साथ चलना

जीवन बहुत बड़ा है साथी
हर दिन एक समान नही
कुछ दिन सुख के है आयें
तो कुछ दिन दुख के भी आएँगें
 
जब मैं सुखी हूँ
मेरी रातें चाँदनी है
जब लगता सब प्यारा –प्यारा है
तब कई गिद्द मेरे आगे पीछे मंडराएँगे
मेरे लिए, तो कभी मेरे संग, नाचेंगे गाएँगे
पर तब भी मेरे साथी, गुम ना होना
इन गिद्दो के बीच तुम ना खोना
मेरी दोस्ती याद रखना
साथी मेरे साथ चलना
क्यूकी बाकी सब स्वार्थ के लोभी है
 
कभी जो गयी मेरे नसीब की काया पलट
ये सारे गिद्द मौका पा उड़ जाएँगे
रह जाऊंगी मैं अकेली संघर्ष करती, लड़खड़ाती
तब तुम मेरी बाह थाम लेना
तुम मेरे साथी साथ चलना
याद दोबना ये दिलाना
तुम मेरे सुख- दुख के साथी हो
 
मेरे साथी साथ चलना
क्यूकी हर सुनहरी शाम के बाद
आता है घोर अंधेरा
लेकिन तुम यह मत भूलो
हर नया दिन एक नयी सुबह लाता है
वह फिर अंधकार हर लेता है
और फैलता है उजियारा
यह जीवन का एक क्रम है
जिसमे सुख दुख दोनो
बारी- बारी आता और जाता है
जीवन के कई खेल दिखता है
पर जो मित्र दोनो में साथ निभाता है
सच्चा और अच्छा दोस्त कहलाता है

Monday, May 9, 2016

वो कैसे दिन थे…. ये कैसा दिन आया है

तब देखा था राम सा नर, सीता सी नारी
अब हो गयी है ये बात पुरानी
दोनो पड रहे है एक दूसरे पर भारी
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब लक्ष्मण के भात्रप्रेम ने
राम के साथ वनवास जाना मंजूर किया था
आज अंबानी भाई एक दूसरे को देखने को तैयार नही
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब द्रौपदी की लाज की रक्षा को श्री कृष्णा स्वयं आए थे
यहा दामिनी, निर्भया आख़िर तक अकेले ही लड़ती रही 
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

इतिहास ने कभी हरिशचंद को देखा था
अब वह नेता भी देख लिया
जो हर दिन झूठे वादें बाँटता है
अपने से अपनी बात काटता है
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब मुगल राजा अकबर ने सब धर्मो का मे दीन-ए-इलाही को अपनाया था
अब बाबरी मसजिद को ले, मज़हब में हर साल झगड़े हो रहे है
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब भगत सिंग ने भारत की आज़ादी को अपनी दुल्हन बताया था
अब हर नुकड पर दिखता अलग नज़ारा है
कम्यूनिस्ट, माओवादी ने बड़े शान से अपना झंडा फहराया है
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब गांधीजी ने अहिंसा, देश को बचाने के लिए अपनाई थी
अब हिंसा देश को मिटाने को तैयार है
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब श्रवण कुमार सा आदर्श बेटा था 
अब डॉक्टर तलवार से मा बाप भी देख लिया
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब लोग सौ-सौ साल जिया करते थे 
अब तो कल का भी पता नही 
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

मैं ये नहीं कहती कल की हर बात भली और आज की हर बात बुरी हैं 

पर बीच का फासला ज़रा गहरा हैं 
सच में वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

Sunday, May 1, 2016

एक रुपये के सिक्के का मोल.....




कभी गये कौड़ियो के मोल
कभी हो गये अनमोल

ग़रीबों के लिए वरदान हो तुम
अमीरों द्वारा दिया दान हो तुम
कभी किसी ने तुम्हे निर्धन की झोली मे डाला 
कभी शुभ समझ कर एन्वेलप मे डाला

कभी 9, 99 तो कभी 999 ऑफर की लालच दे ग्राहक को लुभाया है
कभी तुम्हे ट्रेन की पटरी पर रख अपना करतब दिखाया है

काम तुम कितना आते हो
दूरी भी घटाते हो
कभी STD के कॉल बूथ पर
तो कभी स्टेशन पर रखी Weighing मशीन पर
एक रुपये मे वजन के साथ भविष्य भी बताते हो 
कुछ ही लम्हो मे बोरियत तुम भगाते हो
रंग बिरंगी चॉक्लेट के मज़े भी दिलाते हो

ये है एक रुपये का मोल
जिसका आकार है गोल 
हर दिन एक एक रुपये जोड़कर गुल्लक मे भरते जाओ
ऐसे ही तुम अपनी जमापूंजी को और बढ़ाओ

Thursday, April 14, 2016

पत्थर की इमारत


इन विशालकाय पत्थर की इमारतों की अपनी एक कहानी है
कभी कोई सुनता इसे किसी की ज़बानी है
तो कभी रह जाती ये बेगानी है
इनमे दबा इतहास का कोई पन्ना है
कुछ भरा हुआ तो कुछ भरना है
कहीं महल, कही स्मारक तो कही मीनार खड़ी है
मानो वक़्त ने प्यार से थामी कोई घड़ी है
युगों -युगों से कई पीढ़ियों की परंपरा यहा पनपी होगी
कई कहानिया मिटी और जन्मी होगी

जो आज भी वर्तमान  को भूतकाल से जोड़ रहा है
राज़ कई ये खोल रहा है 
इन विशालकाय पत्थर की इमारतों की अपनी एक कहानी है
कभी कोई सुनता इसे किसी की ज़बानी है
तो कभी रह जाती ये बेगानी है

Tuesday, April 12, 2016

ख्वाबों की दुनिया

बड़ी खुश थी मै अपनी ख्वाबों की दुनिया में
मन की हर इच्छा पूरी होती थी
लंबी मुस्कान लिए मै दिन भर सोती थी
ख्वाब में मैने अपना एक आशियाँ बनाया था
जहाँ हर सुख, सुविधा और आराम था
यह यक़ीनन मेरा एक बेहतरीन ख्वाब था

बड़ी खुश थी मै अपनी ख्वाबों की दुनिया में
की यह भूल गयी ख्वाब कुछ पलों के लिए आते है
जो इस जागती दुनियाँ में अकेला छोड़ जाते है
ख़्वाबो से परे, इस दुनिया में मेरा वो आशियाँ ना दिखता था
यहा तो सिर्फ़ दुख-दर्द मेरे इर्द गिर्द लिपटा सा दिखता था

बड़ी खुश थी मै अपनी ख्वाबों की दुनिया में
शायद इसी कारण रोक ना सकी वो हवाओं के झोके
जिसने मेरे ख्वाबों का रुख़ मोड़ दिया
बीच मजधार मुझे अकेला सा छोड़ दिया
हिम्मत ना हुई की किनारे को छू लू
डर था भेट ना हो जाए किसी नयी मुसीबत से
यह सब सोच कर भी मै वहा ठहर ना सकी
क्यूकी तेज़ थी जल की गति
और मै उसके संग ही बहती गयी
सफल ना हुई मेरी कोई चाहत
ये मेरी ही भूल थी
क्यूकी बड़ी खुश थी मै अपनी ख्वाबों की दुनिया में
की रोक ना सकी वो भयावह लहरें
जो कर रहा था ध्वस्त मेरे ख्वाब को
शायद ये आधा सच है
क्यूकी ख्वाब कुछ नही
बस एक इच्छा  और तमन्ना है
जिसे जागती आँखो से पूरा करना है
अब जब ये बात समझ में आई है
तो इसने एक नयी उमीद सी जगाई है
अब मेरा आशियाँ दोबारा बनेगा
हक़ीकत की नीव पे पूरा सजेगा

Thursday, March 24, 2016

गम का बाज़ार

गम क्या बाज़ार में मिलता है
जो आँखें बार - बार नम हो जाती है
कभी किसी की याद बनकर
कभी अकेली रात बनकर
कभी होंठों तक ना आ सकी, वो बात बनकर
कभी जुदाई के डर का एहसास बनकर

गम क्या बाज़ार में मिलता है
जो आँखें बार - बार नम हो जाती है
लब पर ये जबरन मुस्कान भी
दिल का हाल कब छुपाती है
ये रोक ना पायें खुद को तो,
आँखों से नीर बहाती है
कभी किसी गैर की तड़प देखकर
कभी खुशियों की अपार सीमा छू लेने पर
कभी जीवन की नाकामयाबी पर
तो कभी किसी की कड़वी बात सुनकर
सुख हो या हो दुख!
आँसू ये छलकाती है
दर्द के सभी रिस्ते ये बखूब  ही निभाती है

शायद! गम बाज़ार में मिलता है
जो आँखें बार - बार नम हो जाती है