Monday, June 20, 2016

शायर की क़लम

शायर की क़लम ही 
अपनी नज़्म का जादू 
दुनिया पर चलाती है
ये हुनर हर किसी के बस की बात नहीं
कई बार आर्सो लग जाते है एक छोटी सी बात को
तो कभी चन्द लम्हे भी आर्सो की कहानी बया करते है

शायद मंज़र बहुत है
नज़रें कई है
चाहने वालो में मक़बूलियत की कतारें बहुत है

उनके शब्दो का जादू कुछ ऐसा है
वो दिन को भी करदे निशा के जैसा है

हसते-हसते इतनी तीखी बात करते हो 
ज़िंदगी की बनावट पर कितने इल्ज़ाम कसते हो

शायर की कलम ही 
अपनी नज़्म का जादू 
दुनिया पर चलती है
ये हुनर हर किसी के बस की बात नही

चार लकीर पर दुनिया को नापने चले 
सुहाने मौसम में भी तुम गरदिश में धुँआ उड़ाते चले 

कभी तकदीर, कभी ताबीर 
कभी तस्वीर, कभी तस्वूर 
सबको अपनी रवानी मे समेट लेते हो तुम
शायर हो ! शायरी से परिंदो तक का दिल जीत लेते हो तुम