Monday, June 3, 2019

कुछ इशारा तो ज़रूर है

कुछ इशारा तो ज़रूर है
कोई बिन कहे ही हुआ हमारा तो ज़रूर है

बात इतनी आगे ना बढ़ती 
अगर आँखों की मंज़ूरी ना होती
कहकर भी ना कहना उनकी आदत है
इसीलिए हमने समझकर भी ना समझना अपनी आदत बना ली

कुछ इशारा तो ज़रूर है
कोई बिन कहे ही हुआ हमारा तो ज़रूर है

बात ऐसे ही हवाओं में नहीं घुलती
दिल का दरवाजा कहीं से खुला तो ज़रूर है
उनकी कही हर बात, लब पर ले आती है मीठी सी मुस्कान
पता ही नहीं चला कब वो घर कर गया कम्बक़्त दिल ए नादान

कुछ इशारा तो ज़रूर है
कोई बिन कहे ही हुआ हमारा तो ज़रूर है

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