कुछ इशारा तो ज़रूर है
कोई बिन कहे ही हुआ हमारा तो ज़रूर है
बात इतनी आगे ना बढ़ती
अगर आँखों की मंज़ूरी ना होती
कहकर भी ना कहना उनकी आदत है
इसीलिए हमने समझकर भी ना समझना अपनी आदत बना ली
कुछ इशारा तो ज़रूर है
कोई बिन कहे ही हुआ हमारा तो ज़रूर है
बात ऐसे ही हवाओं में नहीं घुलती
दिल का दरवाजा कहीं से खुला तो ज़रूर है
उनकी कही हर बात, लब पर ले आती है मीठी सी मुस्कान
पता ही नहीं चला कब वो घर कर गया कम्बक़्त दिल ए नादान
कुछ इशारा तो ज़रूर है
कोई बिन कहे ही हुआ हमारा तो ज़रूर है
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