Thursday, April 14, 2016

पत्थर की इमारत


इन विशालकाय पत्थर की इमारतों की अपनी एक कहानी है
कभी कोई सुनता इसे किसी की ज़बानी है
तो कभी रह जाती ये बेगानी है
इनमे दबा इतहास का कोई पन्ना है
कुछ भरा हुआ तो कुछ भरना है
कहीं महल, कही स्मारक तो कही मीनार खड़ी है
मानो वक़्त ने प्यार से थामी कोई घड़ी है
युगों -युगों से कई पीढ़ियों की परंपरा यहा पनपी होगी
कई कहानिया मिटी और जन्मी होगी

जो आज भी वर्तमान  को भूतकाल से जोड़ रहा है
राज़ कई ये खोल रहा है 
इन विशालकाय पत्थर की इमारतों की अपनी एक कहानी है
कभी कोई सुनता इसे किसी की ज़बानी है
तो कभी रह जाती ये बेगानी है

Tuesday, April 12, 2016

ख्वाबों की दुनिया

बड़ी खुश थी मै अपनी ख्वाबों की दुनिया में
मन की हर इच्छा पूरी होती थी
लंबी मुस्कान लिए मै दिन भर सोती थी
ख्वाब में मैने अपना एक आशियाँ बनाया था
जहाँ हर सुख, सुविधा और आराम था
यह यक़ीनन मेरा एक बेहतरीन ख्वाब था

बड़ी खुश थी मै अपनी ख्वाबों की दुनिया में
की यह भूल गयी ख्वाब कुछ पलों के लिए आते है
जो इस जागती दुनियाँ में अकेला छोड़ जाते है
ख़्वाबो से परे, इस दुनिया में मेरा वो आशियाँ ना दिखता था
यहा तो सिर्फ़ दुख-दर्द मेरे इर्द गिर्द लिपटा सा दिखता था

बड़ी खुश थी मै अपनी ख्वाबों की दुनिया में
शायद इसी कारण रोक ना सकी वो हवाओं के झोके
जिसने मेरे ख्वाबों का रुख़ मोड़ दिया
बीच मजधार मुझे अकेला सा छोड़ दिया
हिम्मत ना हुई की किनारे को छू लू
डर था भेट ना हो जाए किसी नयी मुसीबत से
यह सब सोच कर भी मै वहा ठहर ना सकी
क्यूकी तेज़ थी जल की गति
और मै उसके संग ही बहती गयी
सफल ना हुई मेरी कोई चाहत
ये मेरी ही भूल थी
क्यूकी बड़ी खुश थी मै अपनी ख्वाबों की दुनिया में
की रोक ना सकी वो भयावह लहरें
जो कर रहा था ध्वस्त मेरे ख्वाब को
शायद ये आधा सच है
क्यूकी ख्वाब कुछ नही
बस एक इच्छा  और तमन्ना है
जिसे जागती आँखो से पूरा करना है
अब जब ये बात समझ में आई है
तो इसने एक नयी उमीद सी जगाई है
अब मेरा आशियाँ दोबारा बनेगा
हक़ीकत की नीव पे पूरा सजेगा