Sunday, July 31, 2016

Traffic का red signal


दिन भर के सफ़र में 
स्कूटी, कार और बस में 
Traffic के  red signal से
रोजाना रूबरू होते है
इसकी मेहरबानी से
5 तो कभी 15 मिनट हर रोज़ लेट होते है

सिग्नल पर भीख माँगने की कला बदल रही है
शायद ये कला तकनीक से जा मिल रही है 
कई खुद्दार ग़रीब और बिखारी
कर रहे है नया काम जारी

बरसात में लातें है सतरंगी छाता
गर्मी में इन्की पोटली से cap  है निकल आता
कभी होता है पेन और कभी पेन्सिल
कभी छोटे से खिलौने 
तो कभी ढेरों गुब्बारें
गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस को ये बेचते है झंडा
ये रोज़गार है या है कोई धन्दा

signal पर वस्तु विक्रय संगठित व्यवसाय हो गया है
अनपढ़ के लिए product marketing का हुनर आम हो गया है
हर तीन महीनों में चीज़े है बदलती
signal  पे बेचने का काम है बड़ा मेहनती

जिसकी नही रहती कभी कोई guarantee 


अपमान भला किसे है भाता
शायद इन्हे सिर्फ़ यही काम है आता
ये Traffic का red signal
जो मचाता है कई बार घमासान हलचल 



Monday, July 18, 2016

आज शायद बात कुछ और है

आज शायद बात कुछ और है...


उनके आने की खबर नही
उनसे मिलने का सब्र नही
बातें नही हुई है अब तक
फिर भी मुरीद हो गया है


शर्तें नही है
बस मनमानी चल रही है
कुछ लोगों की देखा देखी
कई आदतें बदल रही है
आज शायद बात कुछ और है!