Monday, July 13, 2015

तुम याद बहुत आओगे

चले गए दूर तुम अब
लौट के न आओगे
फिर भी तुम हमें बड़ा रुलाओगे'
और तुम याद बहुत आओगे

हमारे  बीच फ़ासले है, दरमियाँ है
फिर भी हम दोनों के दिलो में
तुम जितना भी दूर जाओगे
फिर भी तुम याद बहुत आओगे

अब न जाने कब किस मोड़ पर मिलना हो
तब तुम्हारा बदला स्वरुप देख पछताएंगे
पर ये सोच हम अपने दिल समझाएंगे
की कही न कही हम भी बदले है
इस बदलाव में दोनों का  दोष है
क्योंकि समय की गति  बलवान होती है
अब  बस मुझे तुम ख्वाबो में
याद बहुत आओगे


Sunday, July 5, 2015

" क्या ह्म सही माईने में दिवाली है मानते ?"

हम पूछेंगे जब क्या है दिवाली
हम क्यों है इसे मानते
लोग कहेंगे उस दिन बम, अनार, चकरी, रौकेट, फटके, फुलझरी है जलाते
पर सत्य पर असत्य की विजय हुई थी ये वह नहीं जानते
इस दिन तम को प्रकाश ने हरा था ये इतना नहीं समझते 
क्या ये सही माईने में दिवाली है मानते ?

इस दिन नए कपडे, मिठाई, पकवान, फटाके भर- भर है लाते
पर एक नाय विचार भी तो नहीं अपनाते 
संपन्न को ढ़ेरो मिठाइयाँ है बाँटते 
पर द्वार पर खड़े भूखे- नंगो को है धुत्काराते
क्या ह्म सही माईने में दिवाली है मानते ?"


अगर फटाके जलना है दिवाली
तो आपको ये मानना होगा
हम केवल छोटी दिवाली को है जानते
और आतंकवादी घातक बमों के गोलों के दम पर बड़ी दिवाली है मानते
खाने- पिने का टोटारहता है घर में
पर फिर भी अपनी संजोयी संपत्ति को जुए में है उड़ाते
क्या ह्म सही माईने में दिवाली है मानते ?
वो भूली बिसरी बाते
जब नानी-दादी अपने पोता-पोती को कहानी थी सुनती
पर अब वह खुद अंधियारी कुटिया में दुबक कर रह जाती
व्यर्थ है दिवाली का मानना
जब तुमने इसका अर्थ न जाना
हम हर साल दिवाली का इंतज़ार है करते
पर क्या ह्म सही माईने में दिवाली है मानते ?
लो फिर आई दिवाली
जगमग हुआ सारा जग
मीठे पकवान सब मिलकर है बनाते
पर चलो इस बार इसे अपने लिए नहीं औरों के लिए बनाये
अंधियारी गलियों में खुशियों का दीप जलाये
चलो सही माईने में दिवाली मनाये!!