Monday, May 9, 2016

वो कैसे दिन थे…. ये कैसा दिन आया है

तब देखा था राम सा नर, सीता सी नारी
अब हो गयी है ये बात पुरानी
दोनो पड रहे है एक दूसरे पर भारी
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब लक्ष्मण के भात्रप्रेम ने
राम के साथ वनवास जाना मंजूर किया था
आज अंबानी भाई एक दूसरे को देखने को तैयार नही
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब द्रौपदी की लाज की रक्षा को श्री कृष्णा स्वयं आए थे
यहा दामिनी, निर्भया आख़िर तक अकेले ही लड़ती रही 
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

इतिहास ने कभी हरिशचंद को देखा था
अब वह नेता भी देख लिया
जो हर दिन झूठे वादें बाँटता है
अपने से अपनी बात काटता है
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब मुगल राजा अकबर ने सब धर्मो का मे दीन-ए-इलाही को अपनाया था
अब बाबरी मसजिद को ले, मज़हब में हर साल झगड़े हो रहे है
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब भगत सिंग ने भारत की आज़ादी को अपनी दुल्हन बताया था
अब हर नुकड पर दिखता अलग नज़ारा है
कम्यूनिस्ट, माओवादी ने बड़े शान से अपना झंडा फहराया है
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब गांधीजी ने अहिंसा, देश को बचाने के लिए अपनाई थी
अब हिंसा देश को मिटाने को तैयार है
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब श्रवण कुमार सा आदर्श बेटा था 
अब डॉक्टर तलवार से मा बाप भी देख लिया
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

तब लोग सौ-सौ साल जिया करते थे 
अब तो कल का भी पता नही 
वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

मैं ये नहीं कहती कल की हर बात भली और आज की हर बात बुरी हैं 

पर बीच का फासला ज़रा गहरा हैं 
सच में वो कैसे दिन थे……ये कैसा दिन आया है

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