सम्राट चक्रवर्ती अशोका दोबारा धरती पर है आयें
अपने साथ कई expectations है लायें
सब कुछ Mordern होगया है
मानो उनका साम्राज्य किसी और के आधीन हो गया है
जब अचानक आस पास सब इतना अटपटा देखा
जिग्यासा वश उन्होने पूछा
क्या ये मगध राज्या है
बगल में खड़ा बच्चा बोला
लगता है तुम्हारे साथ घटी कोई घटना है
क्यूकी ये तो पटना है
राजा थे दंग
पूछा क्या मै चल सकता हूँ तुम्हारे संग
चलते चलते वो बोले
कुछ अपने मन के राज़ खोले
क्या तुम्हे इस बात की है खबर
इतिहास में मेरा नाम है अमर
मैं हू मौर्या सम्राट अशोक
ओह ! आप तो फिर काफ़ी प्रचलित है इस लोक
हमें भी ये ज्ञात है
आप कितने विकयात है
बचपन में कई बार loose किया था अपना Temper
शायद आपके पास नही था सही Mentor
आप तो बचपन में ही अपनी शख़्सियत गये थे हार
बन बैठे थे चाणक्य की कटु नीति का शिकार
कितनी प्रबल थी राजगद्दी की मंशा
बिना सोचे समझे बस करते रहे हिंसा
परिजनो का बहाया था रक्त
इसके अतिरिक्त आपके पास था किसी और बात का वक्त
तुमने ही तो किया था कॅलिंग युध
सब पाकर बन गये थे बुध
राजा ने ये सब सुन आँखें बिचकाई
तुम यूँ ना दो मुझे दुहाई
क्या तुम्हे मेरे बारे में बस इतना पता हैं
मैने अपने 40 वर्ष के शासन में और भी बहुत कुछ किया है
कॅलिंग युध के बाद ही तो मुझे मेरी ग़लती का आभास हुआ था
मैं मानो जीते जी ज़िंदा लाश हुआ था
कितनी दर्दनाक वो स्थिति थी
रन भूमि पर लाखों सैनिको की लाश बिछी थी
तब मैने हिंसा को था त्यागा
इतने सालों में मानो मैं तब था जगा
बना मैं बोधिसत्व
समझाया सबको बुध धर्म का महत्व
मेरे साम्राज्या का विस्तार लगभग पूरा भारत और ईरान था
मुझे सफल और कुशल सम्राट बनाने में आचार्य चाणक्य का ही हाथ था
मैने बनाया था विहार और स्टुप
मैने कर्तव्या निभाने में कभी की नही है की चूक
मैने रोग से पीड़ित प्रजा के लिया बनाया था चिकित्सालय
तक्षशिला और नालंदा में बनाया था विश्वविद्यालय
मैने शिलालेखों द्वारा जनता को शांति से जीना बताया था
सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि जानवरों और पेड़-पौधों के हित के बारे में भी सुझाया था
मैं आज भी तुम्हारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग हूँ
जो मरकर भी आज तुम्हारें संग हूँ
अशोक चिन्ह है तुम्हारा राजकीय प्रतीक
अहिंसा, सदभाव, प्रेम और सत्य की मैने रखी थी लीग
बच्चा ये सब सुन रहा था
अपने दिमाग़ में कुछ बुन रहा था
This is 21st Century
And sorry for not being aware about your glory
आपसे मिलकर अच्छा लगा है
शायद आज कोई इतना सच्चा लगा है
हर इंसान के दो पहलू होते है
वो कभी ग़लत तो कभी सही होते है
हमारे धवज के बीच जो अशोक चक्र लहराता है
आज भी अमन और शांति का परचम फहराता है
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