Friday, October 24, 2014

स्मृतियाँ




मेरी स्मृतियाँ कभी- कभी सैलाब सी आती है
और मुझे उसमे बहा ले जाती है
कभी होंठो पे मुस्कान
तो कभी आँखों में नमी दे जाती है

मेरी स्मृतियाँ कभी- कभी सैलाब सी आती है
वो सारे पल, सामने सजग खड़ा कर जाती है
वो प्यारी यांदे, वो खट्टी- मीठी बाते
सब कुछ सामने नाचने सा लगता है
दिल के तारों को ये एहसास छू कर जाता है
वो लम्हें फिर जिए दिल चाहता है

मेरी स्मृतियाँ और मैं अलग नहीं है
क्योंकि दिल के बज्म में एक कोना जो तुम्हारा है 

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