विरान गलियां
सन्नाटों में भी सन- सन करता है कोई
सपने तिनको की तरह बिखर गए है
अब भी उन तिनकों में आशियाना देखता है कोई
जहाँ सारी इच्छाएं दम तोड़ देती है
वहाँ एक नई उम्मीद की कीरन देखता है कोई
इन तंग गलियो में भी
स्वछंद साँस लेता है कोई
जहाँ होड़ में है सब भागते
वहीं हलके कदम उत्साह से चलता है कोई
जहाँ सबका है शोशल स्टेटस पर ध्यान
वहीँ किसी के मायूस चेहरे पर नन्ही सी मुस्कान बिखरता है कोई
इस रंगीन दुनिया में भी बेरंग रह जाता है कोई
तो कभी ज़मीन पे जन्मा, आसमान को नापता है कोई
ये आम आदमी ही, कुछ अनोखा कर गुजरता है कभी
हाथ की लकीरों को पीछे छोड़ आगे बढ़ चलता है कोई
वहीं हलके कदम उत्साह से चलता है कोई
जहाँ सबका है शोशल स्टेटस पर ध्यान
वहीँ किसी के मायूस चेहरे पर नन्ही सी मुस्कान बिखरता है कोई
इस रंगीन दुनिया में भी बेरंग रह जाता है कोई
तो कभी ज़मीन पे जन्मा, आसमान को नापता है कोई
ये आम आदमी ही, कुछ अनोखा कर गुजरता है कभी
हाथ की लकीरों को पीछे छोड़ आगे बढ़ चलता है कोई
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