Thursday, October 9, 2014

कलम 


मेरा कागज़- कलम सन्नाटो में चलता है 
जब सब सो रहे होते है 
तो मेरा हृदय और दिमाग कुछ नया गढ़ रहा होता है
वहाँ जब सब गहरी नींद में डूबे होते है 
मैं यहाँ अपनी भावनाओ को टटोलता हुआ करवटे लेता है 
कभी अपने तो कभी चितपरिचित  के बीते पल से गुजरता हूँ 
इन सब को बुनकर, एक नई कविता गढ़ता हूँ 
ये वो लम्हें है जहाँ मैं और मेरा मन 
दोनों एक दूसरे से बात करते है 
उस मैं के अंदर और बहार की दूरी तय करते है 
और अपने एक्सपीरिएंस (Experience) कोरे कागज पर शेयर (share) करते है 

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