पर ये नहीं जानता था ,
एक दिन ये वक्त मुझे थाम लगा
समय तो रेत सा हाथ से फ़िसल गया
पर शायद मेरे पाँव को जकड़ लिया
मैं आगे नहीं बढ़ा
इतना श्रीण सा हो गया
की बाकी सब बेमतलब सा जान पड़ा
वक्त ने तोह अपनी सुई की गति रोकी नहीं
पर मुझे शिथिल कर गया
वक्त ने घाव तोह भर दिए
पर निशान नहीं मिटा पाया
हूंठो पे हँसी तो ला दी
पर आँखों की नमी नहीं हटा पाया
वक्त को मैं क्या थमता
वक्त ने मुझे ही थाम लिया था
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