Saturday, October 4, 2014

श्याम दूसरी कक्षा का छात्र है ,नाम के साथ - साथ उसका वर्ण भी काला है। मैंने उसे अकेले स्कूल जाते देखा तो पूछ लिया "आज तुम अकेले? मम्मी छोड़ने नहीं आयी"। वह फट से बोल दिया "मैं तो रोज ही अकेले आता हूँ। 
मैंने पुछा:  और मम्मी! वो बोला - वह तो काम करती हैI मैंने जिज्ञासा के कारण पूछ लिया - कौन सा काम? वह बोला " बर्तन धोती है। " फिर जाने मुझे कौन सी गरज पड़ी थी। मैंने पुछा "और तुम्हारे पापा "
वह बोला इलेक्ट्रिक शॉप में। फिर मैंने पुछा घर में जाते समय क्या पापा घर में रहते हैं। वह फिर मुझे कुछ देर एकटक देखता रहा फिर बोला - नहीं घर में मै और मम्मी ही है।  मैंने फिर पुछा- और पापा। वह बोला - उन्हें करंट शॉक लग गया।

मैंने दोबारा पुछा: क्या अब वह हॉस्पिटल में हैं।
वह बोला - नहीं।  
तो ,मैंने न चाहते हुए भी क्यों उससे एक और सवाल किया " क्यों नहीं? फिर कहाँ है पापा।" 
वह बोला "जब उन्हें करंट शॉक लगा तब ही मर गए।" इस बात कहते समय उसकी आँखों में कितनी मामिर्कता छा गई थी यह मै नहीं जानती हूँ। 
पर तब भी  मैं  अपनी उत्सुकता रोक न सकी और पूछ बैठी "कब? " वो अपने छोटे- छोटे हांथो को पास लाकर इशारा करते हुए बोला " जब मैं इतना छोटा था"

सच है हम जितना पा लेते है, उससे और अधिक  करते है पर ये भूल  जाते है  कइयों  की स्तिथि तो और भी बुरी होती हैI हमें ईश्वर ने  सामर्थ तो दिया ही  है की हम स्वयं अपने लिए मार्ग ढूंढ ले 

तब भी हम अपने दुख पर ईश्वर को ही दोषी मानते है। कभी भी उसके प्रति कृतघ्न नहीं रहते

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