Sunday, October 12, 2014

एक मुस्कान

  एक मुस्कान जाने क्यों कुछ गुनगुना गई
  जीने के मायने सीखा गयी
  बीते नगमें याद दिला गयी
  औरों को भी है गम बतला गयी
  खामोशी से अपना किरदार निभा गयी
  मेरे डर पर विजय दिला गयी
  एक मुस्कान जाने कितना कुछ गुनगुना गई





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