Wednesday, September 17, 2014

काश ये दुनिया मेरा कैनवास होता 


मैं एक पेन्टर हूँ 
अपनी कल्पना को कैनवास पर उतारती हूँ 
मन के भाव को कुछ टेढ़ी- मेढ़ी लाइनों और रंगो के माध्यम से निखारती हूँ 
एक बेजान से कागज़ में नई जान डालती हूँ 
इस तरह कोरे कागज़ पर मैं अपना सपना सवारती हूँ 

काश ये दुनिया मेरा कैनवास होता 
मेरा ब्रश उसमें भी कोई नई कलाकारी करती 
इसमें रहते रंग -बिरंगे प्यादों को एक खूबसूरत से दृश्य में ढालती 
सुंदर रंगो को चुन उसे और मनमोहक बनाती 
फ़िर उस पेंटिंग को फ्रेम में क़ैद कर अपनी वॉल पर मैं सजाती 

काश ये दुनिया मेरा कैनवास होता !

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