काश ये दुनिया मेरा कैनवास होता
अपनी कल्पना को कैनवास पर उतारती हूँ
मन के भाव को कुछ टेढ़ी- मेढ़ी लाइनों और रंगो के माध्यम से निखारती हूँ
एक बेजान से कागज़ में नई जान डालती हूँ
इस तरह कोरे कागज़ पर मैं अपना सपना सवारती हूँ
काश ये दुनिया मेरा कैनवास होता
मेरा ब्रश उसमें भी कोई नई कलाकारी करती
इसमें रहते रंग -बिरंगे प्यादों को एक खूबसूरत से दृश्य में ढालती
सुंदर रंगो को चुन उसे और मनमोहक बनाती
सुंदर रंगो को चुन उसे और मनमोहक बनाती
फ़िर उस पेंटिंग को फ्रेम में क़ैद कर अपनी वॉल पर मैं सजाती
काश ये दुनिया मेरा कैनवास होता !
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