Friday, December 18, 2015

उदास मन


सारा जाग रूठा रूठा सा लगता हैं
हर पत्ता सूखा सूखा सा लगता हैं
ना जाने क्यूँ फूल भी मुरझा रहे हैं
पंछी जाने क्या गुनगुना रहे हैं
जाने क्यूँ सब उदास सा हैं
बीती बातों में एक एहसास सा हैं
नीले बदल पर मेघ है छाए
अब हमे जाने क्यू कुछ ना बाए
ना जाने सब को आज क्या हुआ हैं
सोचा तो पता इसमे मेरा ही हाथ हैं
एक छोटी सी बात हैं
की ये सब नहीं
आज सिर्फ़ मेरा मन उदास है

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