हर व्यक्ति मिट्टी का एक पुतला है
जिससे निर्मित, उसमे विलीन
ईश्वर की अदभुद, अनोखी कला है
पर बिना कुछ किए जीरहे तो क्या जिए
और बिना कुछ किए मर गये तो क्या मरे
इससे नही मिलेगा अमृतव तुम्हें
ना ही होगी जय-जयकार तुम्हारी
चाहत हो सम्मान की तो
तुम सब आगे बढ़ कर आओ
देश की उन्नति के लिए हाथ मिलाओ
तुम्हे इंसान का जीवन मिला है
इसे तुम व्यर्थ ना गवाओ
अपना व्यवहार कटु से नम्र बनाओं
घुलो, गालो, तपो और जल जाओं
दूसरों को मॅन से अपनाओं
चोट चाहे तुम खुद खाओ
पर औरो को ना तुम दर्द पहुचाओं
जग में हो नाम तुम्हारा
ऐसा कोई कार्य तुम कर जाओ
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