नज़र भर देख हम उन्हे
कुछ मुस्कुराते है
उनसे नज़र मिलते ही
अपनी नज़रें हम झुकाते है
ये एक तरफ़ा प्यार है
जिसका असर और दर्द दोनो हम निभाते है
आँखें खामोश नही रहती
लब कुछ बोल नही पाते
उनके ख़यालों में कट जाती है राते
नाम उनका कई बार लिखते और मिटतें है
कई बार इशारों से अपनी बात उन्हे समझाते है
ये एक तरफ़ा प्यार है
जिसका असर और दर्द दोनो हम निभाते है
हो मश्घुल तुम अपनी मस्ती में
कभी नज़रें घूमाओं तो पता चले यहा मेरा हाल कैसा है
ये इज़हार से इनकार शायद अच्छा है
उमीद है कभी तो तुम समझोगे मेरा प्यार तुम्हारे लिए कितना सच्चा है
ये एक तरफ़ा प्यार है
जिसका असर और दर्द दोनो हम निभाते है!!!!
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