Wednesday, February 10, 2016

एक तरफ़ा प्यार

नज़र भर देख हम उन्हे
कुछ मुस्कुराते है
उनसे नज़र मिलते ही 
अपनी नज़रें हम झुकाते है
ये एक तरफ़ा प्यार है
जिसका असर और दर्द दोनो हम निभाते है

आँखें खामोश नही रहती
लब कुछ बोल नही पाते
उनके ख़यालों में कट जाती है राते
नाम उनका कई बार लिखते और मिटतें है
कई बार इशारों से अपनी बात उन्हे समझाते है
ये एक तरफ़ा प्यार है
जिसका असर और दर्द दोनो हम निभाते है

हो मश्घुल तुम अपनी मस्ती में
कभी नज़रें घूमाओं तो पता चले यहा मेरा हाल कैसा है
ये इज़हार से इनकार शायद अच्छा है
उमीद है कभी तो तुम समझोगे मेरा प्यार तुम्हारे लिए कितना सच्चा है

ये एक तरफ़ा प्यार है
जिसका असर और दर्द दोनो हम निभाते है!!!!

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