वीरनियों में कुछ तो बात है
उसमे कुछ तो ख़ास है
दुखी दिल अकेले में चैन से रो पता है
अपना गुम वही छोड़
मन हल्का कर
जिंदगी मे वापस लौट आता है
वीरनियों में कुछ तो बात है
उसमे कुछ तो ख़ास है
गम हमारा जब कोई ना समझे
तब भी ये अकेलापन सब समझ जाता है
हसीन यांदो का कमरा खोल जाता है
हमारे भीतर का मैं जो जगत से अंजान है
उससे अवगत करता है
एकल होने पर भी साथ का एहसास दिलाता है
वह कभी हमे हँसता है तो कभी रुलाता है
जिंदगी के अलग अलग खेलों से हमारा परिचय करता है
गहरे चिंतन मे ले जाता है
और कभी बेबाकी से अपनी बात मानवाता है
वीरनियों में कुछ तो बात है
उसमे कुछ तो ख़ास है
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