देखा! उसको उसकी मां से बिछड़ते देखा
उसके माथे पर शोक और चिंता की रेखा को मैने देखा
उसकी इतनी दुगम- दयनीय करुदात्मक दशा को भी मैने देखा
यह सब देखकर मैने सोचा
क्यूँ ना उसे मैं पालु
क्यूँ ना उसे मैं पालु
उसे मैं अपने परिवार का एक हिस्सा ही बना लू...
उसके लिए मेरे आँखों से नीर बहा
मानो आज उसका दुख मैने स्वयं सहा
पर मैने ना जाने क्यू कुछ और भी सोचा
और अपने गिरे हर आँसू को पोंछा
आज मैने जिसे रोते बीलकते देखा
पर क्यू उसे देख कर भी कर दिया अनदेखा
आख़िर क्यू मैने अंत अपने स्वार्थ को देखा
कह दिया, यह तो था उसके भाग्या का लेखा
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