Sunday, November 19, 2017

बेमौसम की बारिश

बेमौसम की बारिश


बेमौसम ही बरस पड़ी.
रिम झिम बूँदो की ये लड़ी.
मानो कोई प्रयोजन के संग आई है.
गरजता बादल
बरसती बूंदे,
तेज हवा,
ना जाने आज किसकी शामत आई है

बस भिगो देना चाहती है,
मेरे सारे गम और ये चितवन
मानो रुबरो करा रही हो हमे किसी से
या यूँ कहे लुभा रही है मुझे आपनी सौधी खुशबू से
बेमौसम ही बरस पड़ी.
रिम झिम बूँदो की ये लड़ी.
ना संभालने का मौका दिया
ना बहेकने का
बस भिगोती रही

ये बेमौसम की बारिश
बढ़ा गयी हज़ारों ख्वाइश
मैल सारा धूल गया
जा पानी में मिल गया 

Saturday, July 8, 2017

पहल

कुछ कदम की दूरी थी
पर जाने क्या मजबूरी थी
पैर आगे बढ़े ही नहीं
हम खड़े इंतेज़ार करते रहे
वो मौके इक्तियार करते रहे.
पहल की ज़त्तोजहत चलती रही
पर हुआ कुछ भी नही..


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उम्मीद


उम्मीद


कुछ उम्मीद, विश्वास से पूरी होती है
कुछ होकर भी अधूरी होती है
कभी ये रहे आधे-अधूरे किस्से
कभी ये बने, बटे हुए हिस्से
कुछ किस्मत से हो जाती है पूरी
पर यह हमेशा हो ये नही ज़रुरी
ये इतनी दूर भी नही और इतनी पास भी नही
हमारी चाहत मे समुंदर जितनी गहरी प्यास जो नही..!

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Sunday, April 16, 2017

सात


आठ से पहले और छह के बाद
आता है दिनांक सात


ब्रह्मांड ने हमारे लिए कई रहस्य है छोड़े
हमारे जीवन को सात के कई पहलू से है जोड़े

जैसे साप्ताह में होते है सात दिन
कभी देखा है सप्तऋषि सात सितार्रों के बिन

मानव का लेना सात जनम
सात सुरों का संगम
सप्त सुर से हज़ारो शब्द और राग है निकलते 
और वातावरण में है जा मिलतें

शादी के सात वचन और फेरे
सतरंगी इंद्रधनुष आकाश को अपनी बदली मे जा घेरे

ये कितनी विचित्र है बात 
विश्‍व में अजूबे है सात
महाद्वीप है सात
महासागर भी तो है सात
स्वर्ग की सीढ़ी के पायदान है सात

अंक सात की कई है विशेषता
जीवन में लाता है कितनी सहजता 

सात में है अलौकिक शक्ति
कई साधू- संत करते है इसकी भक्ति

सात अंक है बड़ा प्रभावी
कई रहस्यो की ये है चाभी