जो लौट कर गये थे
कहकर की आनेवाले है
फिर पलटकर क्यों देखा भी नहीं
हमने उसको टोका नहीं
उसने ख़ुद को रोका नहीं
और तकदीर ने दिया, कोई मौका भी नहीं
इंतज़ार जो मेरा नसीब बन गया है
उसे इसकी खबर भी नहीं
कर दिया रुसवा भरे बाज़ार में, बस तेरे इनकार ने
जाने क्यों अब इतनी बेमुर्रवत हो गयी है जिंदगी
कभी देखी थी जन्नत, पर अब मिलन ख़यालो में भी नहीं
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