जब भी नभ में बादल घिरते है
तब नभ से शीतल नीर बरसते है
मेघ गरज- गरज कर हमें संगीत सुनते है
ये अपनी गरिमा से हमें लुभाते है
नन्हीं -नन्हीं बूंदे धरती पर गिरती है
मन को सौंधी खुसबू से भरती है
हर तरफ खुशी की लहरे है छायी
किसान बारिश के आगे नत मस्तक हो जाते है
सुख से अपनी बींजो को उपजाते है
चाक की श्रुधा और प्यास जाएगी
देखा अब हरियाली कालीन धरा पर बिछ जाएगी
वन में मयूर पर फैलाये नृत्य करने लगे है
बच्चे भी पानी में हिलोर, उछल-कूद करने लगे है
इस बारिश की बौछार में करे गरम चाय की प्याली
सब के चेहरों पर खिल उठे लाली
अब रहे न कोई गम
लो आया बारिश का मौसम
No comments:
Post a Comment