माना नासमझी कर जाती हूँ
बिन सुने बहुत कुछ कह जाती हूँ
छोटी सी बात पकड़ कर गुस्सा भी हो जाती हूँ
मज़ाक कई बार समझ नहीं पाती हूँऔर तुमसे नाहक ही लड़ जाती हूँ
लेकिन फिर पल भर में संभल भी जाती हूँ
आदत समझ तुम इसे मेरी
भूल जाया करो
और यूँ मुझसे रूठा ना करो
मुझे कभी समझाया करो
तो कभी प्यार से मनाया करो
लेकिन तुम मुझसे रूठा ना करो
यू हमे आज़माया ना करो
यह बेमानी ज़िद्द किया ना करो
बिन सुने बहुत कुछ कह जाती हूँ
छोटी सी बात पकड़ कर गुस्सा भी हो जाती हूँ
मज़ाक कई बार समझ नहीं पाती हूँऔर तुमसे नाहक ही लड़ जाती हूँ
लेकिन फिर पल भर में संभल भी जाती हूँ
आदत समझ तुम इसे मेरी
भूल जाया करो
और यूँ मुझसे रूठा ना करो
मुझे कभी समझाया करो
तो कभी प्यार से मनाया करो
लेकिन तुम मुझसे रूठा ना करो
यू हमे आज़माया ना करो
यह बेमानी ज़िद्द किया ना करो