कुछ कदम की दूरी थी
पर जाने क्या मजबूरी थी
पैर आगे बढ़े ही नहीं
हम खड़े इंतेज़ार करते रहे
वो मौके इक्तियार करते रहे.
पहल की ज़त्तोजहत चलती रही
पर हुआ कुछ भी नही..
पर जाने क्या मजबूरी थी
पैर आगे बढ़े ही नहीं
हम खड़े इंतेज़ार करते रहे
वो मौके इक्तियार करते रहे.
पहल की ज़त्तोजहत चलती रही
पर हुआ कुछ भी नही..
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