Friday, February 27, 2015

हमारा देश



हमारा देश आख़िर कहा जा रहा है
क्या देश को Twitter, linkedin, Facebook और whats app चला रहा है 
नेता तो वोट पा संतुष्ट है
अपने अपने महलो मे सुकून से स्थापित है
देश मे घट रही अनहोनी पर, बस शोक जताते है
देखो येही नेता है जो हमारा देश चलते है

वही हम और आप भी अपनी ज़िमेदारी से पीछे हटते जा रहे है
आपना भार इन गीने चुने नेताओ पर मदते जा रहे है

नियम क़ानून तो बन गये है
अब इन्हे निभाएगा कौन?
देश की रखवाली का दायित्व संभालेगा कौन?
ये किसी एक के बस की बात नही
बदलाव के लिए मिलने की ज़रूरत है
तो क्यों ना मिलना ही सही
गुल से ही तो गुलस्ता बनता है
सबको साथ आगे आना चाहिए.
देश की तराकी मे मिलकर हाथ बढ़ाना चाहिए

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